सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

कोयलांचल आधारित फिल्मों में हिंदी

कोयलांचल आधारित फिल्मों में हिंदी


            हिंदी के प्रचार-प्रसार में हिंदी सिनेमा का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।प्रथम भारतीय सवाक फिल्म 'आलमआरा'(1931) हिन्दी में थी।...भारत में निर्मित होने वाली 60 प्रतिशत फिल्में हिन्दी भाषा में बनती हैं।1 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी हिंदी सिनेमा बहुत लोकप्रिय है। रूसी हिंदी विद्वान डॉ पीटर बारानिकोव तो स्पष्ट कहते है कि हिंदी सिनेमा ने वैश्विक स्तर पर लोगों को हिंदी से जोड़ने का काम किया है। उन्हीं के शब्दों में कहें तो- ‘‘हिंदी सिनेमा ने रूस और दूसरे देशों में भी लोगों को हिंदी से जोड़ने का काम किया है।’’2 ऐसे में कोयलांचल आधारित फिल्मों में हिंदी के स्वरूप का वर्णन काफी रोचक है।

            कोयलांचल का महत्व कोयले पर केंद्रित है। कोयला एक कार्बनिक ईंधन है। इससे देश की 70% बिजली का निर्माण होता है,जो देश को आर्थिक आधार प्रदान करता है। इसकी सर्वाधिक खानें झारखंड में है।3 यही कारण है कि हिंदी फिल्म निर्माताओं ने अपनी फिल्मों के लिए कोयला राजधानी धनबाद और उसके समीपवर्ती इलाकों को ही चुना।

            अब तक कोयलांचल पर कई फ़िल्में बन चुकी हैं ,जिनमें काला पत्थर, काला हीरा, कोयला, कोल कर्स, गैग्स ऑफ वासेपुर, गैग्स ऑफ वासेपुर -2, गुंडे, कोयलांचल आदि महत्वपूर्ण है। इनमेंकाला पत्थरऔरकाला हीरा’ - चासनाला खान दुर्घटना(1975), ‘कालका’ - कोयलांचल की समस्याओं, ‘कोयला’ - खदान से हीरा निकालनेवाले खदान मालिक के लालच, ‘कोल कर्स’ – कोलगेट घोटाला और सिंगरौली की त्रासदी तथागैग्स ऑफ वासेपुर’, ‘गैग्स ऑफ वासेपुर -2’, ‘गुंडेऔरकोयलांचल’ -चारों कोल-माफियाओं के वर्चस्व की लड़ाई से प्रेरित है।4

            कोयलांचल से संबंधित फ़िल्मों मेंकालकाऔरकोल-कर्सको छोड़कर शेष सभी फ़िल्में मनोरंजक परक दृष्टि से निर्मित सुखांत हैं, जिनका उद्देश्य फ़िल्मों के बाजार में एक और फ़िल्म बनाकर मुनाफा कमाना है। फलस्वरूप इन फ़िल्मों में दर्शकों की रूचि की भाषा का बहुत ध्यान रखा गया है, दूसरी ओरकालकाऔरकोल-कर्समें दर्शकों के मनोरंजन से कहीं अधिक ध्यान कोयलांचल की समस्याओं के दृश्य-श्रव्य-भाष्य प्रस्तुति पर केंद्रित है। यही कारण है किकोल-कर्समें आदिवासियों के लोकगीतों औरकालकामें बिदेसिया जैसे ह्रदय-विदारक गीतों को समाहित किया गया है ।

             ये फ़िल्में केवल कोयलांचल पर आधारित फ़िल्म नहीं हैं, ये उस क्षेत्र के सामाजिकसांस्कृतिकआर्थिक, राजनीतिक और भाषिक दस्तावेज भी हैं। भाषिक स्तर पर कोयलांचल की भाषा का अपना रंग इन फिल्मों में सहज ही देखा जा सकता है। यह भाषिक रंग कोयलांचल के सामाजिकसांस्कृतिकआर्थिक एवं राजनीतिक जीवन की अभिव्यक्ति है। कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण, देश के सबसे बड़े खान दुर्घटना - चासनाला खान दुर्घटना, आर्थिक उदारीकरण, कोयला खदानों का निजीकरण, देश का सबसे बड़ा घोटाला - कोयला घोटाला आदि घटनाओं के माध्यम से कोयलांचल के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन के बदलाव को इन फिल्मों में भी सहज रुप से देखा जा सकता है। उक्त बदलावों का प्रभाव इन फिल्मों की भाषा पर भी पड़ा है, जो प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से इन फिल्मों की संवादों में दिखलाई पड़ता है।

            14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह निर्णय लिया कि हिन्दी ही भारत की राजभाषा होगी।5 इसके बाद 15 वर्षो तक अंग्रेजी राजभाषा रही, 1963 के बाद हिंदी और अंग्रेजी का द्विभाषिक दौर आरंभ हुआ। 1968 में  त्रिभाषा सूत्र का संकल्प लाया गया। मगर इसके बाद केंद्र में अल्पमत सरकार का दौर आरंभ हुआ। फलस्वरुप जोड़-तोड़ की राजनीति के कारण राजभाषा  पर कोई भी ठोस निर्णय नहीं लिया गया। इसका दूरगामी परिणाम यह हुआ कि लोग धीरे-धीरे अंग्रेजी की तरफ बढ़ने लगे और राजभाषा उपेक्षित होती रही। सारे देश के साथ ही कोयलांचल को भी भारत की इस ढ़ूलमूल राजभाषा नीति का परिणाम भोगना पड़ा। भारत की राजभाषा नीति में हुए इस भारी परिवर्तन को कोयलांचल की फिल्मों में भी देखा जा सकता है। हिंदी फिल्मों के कलाकार फिल्मों में हिंदी भाषा का प्रयोग करते हैं, मगर उन्हीं से जब उनके फिल्म पर साक्षात्कार लिया जाता है तो वे अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते हैं। उनके फिल्मों की स्क्रिप्ट रोमन लिपि में लिखी जाती हैं। उनकी हिंदी में अंग्रेजी के शब्दों का वर्चस्व रहता है। पात्रों के नाम परपेनडिकुलर और डेफेनिट रखे जाने जाते हैं।
           
            भाषिक आधार पर कोयलांचल(झारखंड) की सीमाएँ उत्तर में बिहार, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़, दक्षिण में ओड़िशा और पूर्व में पश्चिम बंगाल को छूती हैं। लगभग संपूर्ण प्रदेश छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित है।6 इन राज्यों की भाषा और बोली का प्रभाव कोयलांचल पर पड़ना स्वभाविक है। दूसरी ओर, पड़ोसी राज्यों से रोजगार हेतु आवागमन के कारण भी कोयलांचल की भाषा में पड़ोसी राज्यों की भाषा का प्रभाव सहज ही देखा जा सकता है।

            झारखंड की राजभाषा हिंदी है। मगर यहां हिंदी के अलावा संथाली और अन्य आदिवासी बोलियां भी बोली जाती है। फलस्वरूप यहां की हिंदी पर संथाली, बांगला, भोजपुरी आदि का प्रभाव सहज दिखता है। इस सम्मिश्रण से जिस झारखंडी हिंदी का निर्माण होता है, उसी का प्रयोग कोयलांचल के फिल्मों में भी देखा जा सकता है।

            भाषिक स्तर पर इन फिल्मों में वर्ग वैषम्य सहज देखा जा सकता है। अमीर और शिक्षित वर्ग अंग्रेजी मिश्रित खड़ी बोली हिंदी बोलते हैं, तो गरीब और अशिक्षित वर्ग संथाली, बांग्ला और भोजपुरी मिश्रित खड़ी बोली हिंदी। मगर दोनों बोलते हैं खड़ी बोली हिंदी ही, जो यहां के आम जनजीवन की भाषा के रूप में प्रयुक्त होती रही है। इसके साथ ही यहां के लोगों में अंग्रेजी को अपनाकर अपने काम को वैश्विक बनाने की होड़-सी है। यही कारण है किकोयलांचलफिल्म के एक पात्र - बुरबक भंसाली ने कोयलांचल पर ‘JHARIA – A COMEDY OF FIRE’ नाम से फिल्म भी बनाई। इसे कोयलांचलवासियों के भाषिक विचलन और वैश्वीकरण की होड़ में दौड़ने की प्रवृति का द्योतक माना जा सकता है।

        भाषिक साम्राज्यवाद की गूंज भी इन  फिल्मों में सहज ही देखी जा सकती है। इनमें शिक्षित वर्ग प्रायः अपनी भाषा का रोब अशिक्षित वर्ग के सामने झाड़ते हुए दिखाई देते हैं। ऐसा ही एक प्रसंग काला पत्थरफिल्म में मौजूद है। इसमें डॉक्टर साहिबा द्वारा मजदूर पर क्रोध व्यक्त करने के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया गया है। इससे मजदूरों के सामने उनकी श्रेष्ठता में वृद्धि होती है। एक दूसरा उदाहरणगैंग्स ऑफ वासेपुर 2’ से लिया जा सकता है। इसमें इखलाख नाम के पात्र का चरित्रांकन ही अंग्रेजी ज्ञान की धाक से आरंभ किया जाता है।कोयलांचलफिल्म में भी ऐसे कई प्रसंग देखे जा सकते है। उदाहरण के लिए निम्नलिखित संवाद देखा जा सकता है, जिसमें जिलाधीश अपने अंग्रेजी ज्ञान का रोब दिखाता है और उत्तर में कोल माफिया उसके अंग्रेजी की तारीफ करता है जिलाधीश-‘This place is a ecological disaster, a human disaster, do you understand.’ ….कोल माफिया – ‘बहुत अच्छा लगता है, जब एक बिहारी बचुए के मुहं से इतना फाइन इंगलिश सुनने को मिलता है। फकर होता है, फकर।7
              कोयलांचल में लंबे समय तक कोल माफिया का आतंक था। इस आतंक से आम लोगों का जीवन संकट में था। कोल माफिया अपना दबदबा बनाए रखने के लिए जंगल के कानून का पालन करती है। ऐसे में कोयलांचल पर बनी फिल्मों में कोल माफिया के आतंक को लगातार फिल्माया गया है। इससे इन फिल्मों में आंतक की भाषा का निर्माण हुआ है। उदाहरण के लिएकोयलांचलफिल्म के संवाद देखे जा सकते है- -‘‘यह कोयलांचल है/ यहां आंख खोल कर चलिएगा/ तो कोयला अंदर जाता है/ और बंद कीजिएगा/ तो बाहर।.......खांकी पहन कर निकले होंगे, तिरंगे में लपटकर पार्सल कर दिए जाएंगे।’’8

            समाज में फिल्मों का विशेष महत्व है। फिल्मों में जहां एक तरफ समाज की विषमताओं का वास्तविक चित्र प्रस्तुत किया जाता है, वही सामाजिक विषमता से दूर आनंदमई तस्वीरों के माध्यम से दर्शकों का मनोरंजन किया जाता है। सिनेमा मनोरंजन प्रधान होने के कारण बहुधा समाज की वास्तविकताओं से दूर रहती है। यही कारण है कि समाज का एक वर्ग सिनेमा को भ्रमित करने वाला मानता है। उदाहरण के लिए गैंग्स ऑफ वासेपुर-2 के बाहुबली कोल माफिया रामाधीर सिंह का कथन लिया जा सकता है। वे कहते हैं- ‘‘सबके दिमाग में अपनी अपनी पिक्चर चल रही है। सब साले हीरो बनना चाह रहे है अपनी पिक्चर में। ये साला हिंदुस्तान में जब तक सनीमा है लोग चुतिया बनते रहेंगे।’’9 यानी मनोरंजन परक फिल्में समाज को भ्रमित करती है। ऐसे में यह जानना आवश्यक होगा कि इस भ्रम को फैलाने में हिंदी का कितना योगदान है?

            फिल्मों में समाज को भ्रमित करने के लिए भाषा के माध्यम से ही एक ऐसा संसार रचा जाता है, जिसमें दर्शक आनंदमई एहसास के साथ सहज ही भ्रमित हो जाए । कोयलांचल आधारित फिल्मों पर इस भ्रम को फैलाने में हिंदी भाषा का प्रयोग विविध रूपों में किया गया है। ऐसा ही एक भ्रम बिहारी और झारखंडियों के संबंध में फैलाया गया है कि वे गंवार, जोकर आदि होते है । उदाहरण के लिएकोयलांचलफिल्म का निम्नलिखित संवाद देखा जा सकता है-हम बिहारियों और झारखंडियों को अब कोई सीरियस नहीं लेता है। .......एक नेता ने पूरे प्रदेश को जोकर का छवि दे दिया है।’’10 अर्थात कोयलांचल की समस्या भी देश के लिए कोई सीरियस समस्या नहीं है, वैसे ही जैसे देश की राजभाषा और राष्ट्रभाषा।

              संवाद योजना भी हिंदी के विकास का लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे में यह कहना गलत न होगा कि अच्छे संवाद सुनने के बाद ही वह जुबान पर चढ़ जाती हैं, जैसे कीशोलेफिल्म के यह संवाद -यहाँ से पचास-पचास कोस दूर गाँवों में जब बच्चा रात को रोता है, तो मां कहती है बेटे सो जा सो जा नहीं तो गब्बर सिंह आ जाएगा11 ऐसे में कोयलांचल पर आधारित फिल्मों के संवाद भी हिंदी के विकास में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ऐसे ही कुछ अविस्मरणीय संवाद निम्नलिखित है-कैमरा बुझ गया है साहब/ अब कोई जरूरत नहीं है/ ये सब ड्रामा और डायलॉग का।12(कोयलांचल)  .....हम लोग भले खत्म हो जाए, मगर यह परियोजनाएं खत्म होने वाली नहीं है।13(कोल कर्स)

              भाषा के विकास में गीतों का विशेष महत्व रहा है। इस दृष्टि से देखेंतो हिंदी के विकास में भी हिंदी गीतों का विशेष महत्व है। ऐसे में कोयलांचल परआधारित फिल्मों में हिंदी गीतों का योगदान महत्वपूर्ण है। कोयलांचल पर आधारित सभी फिल्मों में गीत-संगीत का विशेष रूप से प्रयोग किया गया है। इनमें वे गीत विशेषमहत्वपूर्ण है, जिनमें कोयलांचल के दर्द को अभिव्यक्ति मिलीहै। इनमेंकालकाफिल्म का विदेशिया गीत विशेष महत्वपूर्ण है, जिसमें विस्थापित मजदूरों के दर्द को अभिव्यक्ति मिली है-‘‘विदेशिया रे/घरवा के सुध-बुध सब बिसराई के /कहवा करें है रोजगार रे विदेशिया/गांव-गली सब बिछड़े रामा छुटी खेती-बाड़ी/दो रोटी के आस में कैसी दुरगत भईल हमारी/रे विदेशिया।’’14  ऐसे ही लोकगीतो का प्रयोग करते हुएगैंग्स ऑफ वासेपुरकी गीतों की रचना की गई हैं। दूसरी ओर मनोज तिवारी काजिया हो बिहार के लालागीत भी काफी प्रभावशाली जान पड़ता है। यही नहीं, ‘यशपाल शर्मा के गाए गीत और बैंड फ़िल्म के दृश्यों को मार्मिक बनाते हैं। गीत और पार्शव  संगीत के सही उपयोग से फ़िल्म अधिक प्रभावशाली और अर्थपूर्ण हो गई है।15 ऐसे में कोयलांचल के फ़िल्मों का संगीत सचमुच तारीफ के काबिल है ।


            इस प्रकार हम देख सकते हैं कि कोयलांचल पर आधारित फिल्मों में बोलचाल की हिंदी का बहुत सुंदर प्रयोग किया गया है। इनमें प्रयुक्त संवाद दमदार है, जिससे दर्शक सदा रोमांचित होते हैं। इन फिल्मों की भाषा पर भारत सरकार की ढुलमुल राजभाषा नीति का प्रभाव भी देखा जा सकता है, जिसके कारण इन फिल्मों में अंग्रेजी का वर्चस्व बढ़ता ही जा रहा है। भारत के अन्य प्रदेशों की तरह ही कोयलांचल भी भाषिक साम्राज्यवाद का शिकार है। ऐसे में यह कहना गलत न होगा कि आने वाली चार-पांच पीढ़ियों के बाद अंग्रेजी ही भारत की बोलचाल की भाषा होगी, और उसी भाषा में फिल्में भी बनेंगी; अगर भारत सरकार ने अपनी ढुलमुल राजभाषा नीति में परिवर्तन न किया।



....................................................................................................
संदर्भ-सूची
2. https://www.bbc.com/hindi/news/030914_barannikov_hindi_vv.shtml
3. https://hi.wikipedia.org/wiki/कोयला
5. https://hi.wikipedia.org/wiki/हिन्दी_दिवस
7. https://www.youtube.com/watch?v=W4mifFr3Zsk
8.  उपरोक्त
12.https://www.youtube.com/watch?v=W4mifFr3Zsk
13.https://www.youtube.com/watch?v=eLll6DML6NM&t=193s



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें